हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, नागपंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाया जाता है। यह दिन नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस पर्व पर नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि, नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
पुराणों के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की पूजा करने से सापों की वजह से होने वाला हर प्रकार का डर समाप्त हो जाता है। वेद, पुराणों के अनुसार, नागों का उद्गम महर्षि कश्यप एवं उनकी पत्नी कद्रू से माना गया है। पुराणों में नागों का मूल स्थान पाताल लोक को माना गया है। एवं पुराणों में नागलोक की भोगवतीपूरी प्रसिद्ध है। इस बार 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जायेगा।
पंचम तिथि को ही क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी
हिन्दू धर्म में नागपंचमी त्योहार का विशेष महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार राजा परीक्षित के पुत्र एवं अर्जुन के पौत्र जन्मेजय थे। जब जन्मेजय को को यह मालुम हुआ कि, उसके पिता की मृत्यु सर्पदंश के कारण हुई थी। तो उसने इसका प्रतिशोध लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के दौरान इस यज्ञ के प्रभाव से बड़े-बड़े विकराल नाग यज्ञ की अग्नि में आकर जलने लगे।
जिस पर ऋषि आस्तिक मुनि ने नागों की रक्षा के लिए श्रावण मॉस की शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि के दिन यज्ञ को रोक दिया। और नागों की रक्षा की। इस वजह से तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। ऋषि आस्तिक ने अग्नि के ताप से नागों को बचाने के लिए उन के ऊपर गाय का कच्चा दूध डाला था। तब से श्रावण मॉस की शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि के दिन से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा। और वहीं से नाग देवता को दूध चढाने की परंपरा आरंभ हुई।
Nag Panchami 2023 कब और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 की मध्य रात्रि 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो जाएगा और अगले दिन 22 अगस्त की रात्रि 02 बजे समाप्त हो जाएगी। नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त 2023, सोमवार के दिन पड़ रहा है। नाग पंचमी पर भगवान शिव और नाग देवता की पूजा किया जाता है। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 53 मिनट से सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक है।
नागपंचमी त्यौहार मनाने से लाभ
पुराणों के अनुसार, श्रवण मास के शुक्लपक्ष के पंचमी के दिन नागलोक में उत्सव मनाया जाता है। और जो व्यक्ति श्रवण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी के दिन नागों को गाय के कच्चे दूध से स्नान कराता है। उसको आजीवन सर्प भय से मुक्ति मिल जाती है, एवं उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।
नागपंचमी की व्रत विधि
हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार, श्रावण मॉस के शुक्लपक्ष की पंचमी को नाग देवता की पूजा करने का विधान है। इस व्रत में एक बार भोजन करने का नियम है। इस दिन मिटटी के नाग बनाकर उनकी पूजा करनी चाहिए।
इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। नागपंचमी के दिन जो भी नागों की विधि-विधान के साथ पूजा करता है, उस पर नागों की विशेष कृपा होती है। पुराणों के अनुसार, नागपंचमी के व्रत की विधि इस प्रकार है।
- पुराणों के अनुसार, नाग पंचमी के व्रत में केवल एक बार न के बराबर भोजन करना चाहिए।
- नाग पंचमी के दिन सोना, चांदी, काष्ट, रजत या मिटटी के 5 फनों वाले नाग की आकृति बनाकर उस नाग की भक्ति भाव के साथ विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए।
- घर के मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों तरफ गाय के गोबर से बड़े बड़े नाग बनाएँ, एवं अक्षत, फूल, गाय का कच्चा दूध अर्पित करें एवं धुप दीप जलाकर विधि विधान से पूजा करें।
- पूजा करते समय जिन नागों का स्मरण किया जाता है उनके नाम क्रमशः वासुकी, अनंत, तक्षक, कर्कट, शंख, कालिया, पिंगल आदि प्रमुख हैं।
- इन सब नागकुल के अधिपतियों को तथा इनकी माता कद्रू की हल्दी, चन्दन एवं फूल आदि से पूजा करें।
- इसके पश्चात वामी में प्रत्यक्ष नागों की पूजा करें। एवं उन्हें दूध से स्नान कराएं।
- इन्हें गाय का कच्चा दूध अर्पित करें।
- पूजा करने के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- इस विधि से व्रत करने पर सर्प भय से मुक्त मिल जाती है। एवं मनोकामना पूर्ण होती है।
- प्रत्येक मास में शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को नागदेवता की पूजा की जा सकती है।
- पूजा के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
- हिन्दू धर्म में नाग पंचमी के दिन नागों की रक्षा का वचन लिया जाता है।
नाग की रक्षा करने से पर्यावरण का संतुलन बना रहता है। सामान्य रूप से सांप किसानों के लिए काफी लाभदायक होता है। सांप किसानों को हानि पहुंचने वाले कीट-पतंगों को खा जाते हैं। और सांप फसलों को नष्ट करने वाले चूहों को भी खा जाता है। जिसके परिणाम स्वरुप अच्छी पैदावार होती है। इस तरह से सांप हमारे फसलों के लिए भी एक लाभदायक जीव है।