आपको नमक के खेत महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान से लेकर गुजरात तक देखने को मिल जायेंगे। परन्तु क्या आपने कभी काला नमक बनते हुए देखा है। कुछ लोगों का कहना है कि, काला नमक खाने का स्वाद बढ़ा देता है। परन्तु नमक बनाने का काम काफी मुश्किल और जोखिम भरा हुआ होता है।
फिर चाहे वह काला नमक हो या सफ़ेद नमक। दोनों ही नमकों को बनाने में मजदूरों को काफी मेहनत के साथ ही अपना खून पसीना एक कर देना पड़ता है। नमक उत्पादक के मामले में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। वास्तव में काला नमक के बारे में काफी बातें कही जाती है। कुछ लोगों का कहना है कि, यह पहाड़ों को तोड़कर निकाला जाता है। तो कुछ कहते है कि, ये पाकिस्तान से आया है। परन्तु हम आपको बता दें कि, यह नमक भारत में ही तैयार किया जाता है।
काला नमक बनाने की विधि
काला नमक को बनाना इतना आसान नहीं है। इसे तैयार करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। साथ ही इसमें खतरा भी होता है। इसको बनाने के लिए सबसे पहले एक ट्रक से सांभर नमक को उतरा जाता है। यह नमक जयपुर (राजस्थान) से आता है।
यह नमक मोटा एवं सफ़ेद होता है। अब इस नमक को काला नमक बनाने के लिए सबसे पहले एक भट्ठी जो लगभग ढाई फिट गहरी होती है, उसमें काफी सारे कंडे डालकर आग लगाई जाती है। फिर इसके ऊपर फिर कंडे रखे जाते हैं। इसके बाद इन कांडों के ऊपर कोयला डाला जाता है।
जिसके बाद इन कोयलों के ऊपर मटके रखे जाते हैं। मटके रखने के बाद इन मटकों के चारों तरफ कोयले डाले जाते है, और इन मटकों को चारो तरफ से कोयले से बंद कर दिया जाता है। फिर इन मटकों में 5 किलो के हिसाब से सफ़ेद सांभर नमक डाला जाता है।
इसके बाद इन मटकों में लगभग 1 किलो के हिसाब से बादाम का छिलका डाला जाता है। फिर कोयलों के ऊपर ईंट बिछा दी जाती है। इसके बाद ढक्कन लगाकर मटके का मुँह बंद कर दिया जाता है। फिर कोयलों के ऊपर चाबड़ी बिछाई जाती है जिससे आंच बाहर न निकले। फिर इसे 4 घंटे तक पकने दिया जाता है, 4 घंटे बाद इन मटके का ढक्कन हटाकर देखा जाता है कि नमक पका गया या नहीं, अब नमक पकने के बाद इन मटकों में और नमक डालकर इन्हें नमक से भर दिया जाता है।
फिर इन मटको को ढक्कन से बंद कर दिया जाता है। फिर 2 घंटे तक पकने के लिए छोड़ दिया जाता है। फिर 2 घंटे बाद इन मटकों का ढक्कन हटाकर इन मटकों में और नमक डाला जाता है। इसके बाद इन मटकों को ढक्कन से फिर बंद कर दिया जाता है। नमक डालने की यह प्रक्रिया 3 बार की जाती है।
फिर इन नमक से भरे मटकों को भट्ठी में पकने के लिए 24 घंटे तक छोड़ दिया जाता है। 24 घंटे के बाद आग का गोला बन चुके इन नमक के मटकों को भट्ठी से बाहर निकाला जाता है। फिर 5 घंटे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है। ठंडा होने के बाद मटकों को तोड़ कर तैयार हो चुके काला नमक को निकला जाता है। इस तरह से काले नमक को तैयार किया जाता है। फिर इन्हें ट्रकों में लादकर मार्केट में भेज दिया जाता है।