हरप्रीत के पिता की मृत्यु के पश्चात उनका परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजरने लगा। उनका बचपन गरीबी में गुजरा। इसके पश्चात भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। एवं साइकिल रिपेयरिंग करने का काम करने लगे, परन्तु कुछ बड़ा करने की उनकी चाहत थी। बचपन से उनका पायलट बनने का सपना था।
उन्होंने साइकिल रिपेयर करते हुए 3 वर्ष की सख्त मेहनत के पश्चात पैरामोटर ग्लाइडर बना दिया। लगभग 2.5 लाख का खर्च इसे बनाने में आया।
उन्होंने मोटरसाइकिल का इंजन लगाकर पैरामोटर ग्लाइडर बनाया है, जो आसमान में उड़ सकता है। उन्होंने ये जहाज आर्मी से ट्रेनिंग लेने के पश्चात कम कीमत में बनाया है।
हरप्रीत के अनुसार, उन्होंने जो जहाज तैयार किया है, उसे पैरा मोटर कहते हैं। उन्हें असम के आर्मी कैंप में ट्रेनिंग लेने के पश्चात इसे पूरा करने में 3 वर्ष लगे।
कार का पुर्जा इस जहाज़ में लगाया गया है। इसके अतिरिक्त लकड़ी के पंखे लगाए हैं। मोटर साइकिल का इंजन का उपयोग किया गया है। साइकिल का हैंडल लगाया गया है।
भारतीय वायु सेना ने दी पैरा मोटर पायलट की नौकरी
भारतीय वायु सेना ने हरप्रीत को पांडिचेरी में पैरा मोटर पायलट की नौकरी भी दी। टूरिस्ट को अब वो आसमान की सैर करवाते हैं। हरप्रीत का सपना है कि, वो टू सीटर पैरामोटर ग्लाइडर अपने क्षेत्र के लोगों के लिए बनायें। जिससे हर अमीर-गरीब, छोटे-बड़े को आसमान की सैर करवा सकें।
छुट्टी पर हरप्रीत जब भी घर आते हैं, तो क्षेत्र के गरीब बच्चों को जहाज के बारे में बताते हैं। उनका विचार है कि, युवाओं को खुद पर भरोसा रखना चाहिए तभी वो अपने सपने को पूरा कर सकते हैं।