अमेरिका में निरंतर बैंक डूब रहे है। अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम लगभग 14 वर्ष पश्चात एक नए संकट का सामना कर रहा है। पहले तो सिलिकॉन वैली बैंक अमेरिका का 16 वां सबसे बड़ा बैंक डूब गया। इसके पश्चात सिग्नेचर बैंक भी दिवालिया हो गया।
अब यह सवाल खड़ा होता है कि, इन बैंकों ने ऐसा क्या किया जिससे बैंक डूब गये। तो इसका स्पष्ट जवाब है कि, बढ़ती महंगाई के दौर में फेड रिजर्व की कड़ाई एवं अधिक कमाई के लालच ने इन बैंकों को डूबने की स्थिति में पहुंचा दिया।
क्यों अमेरिका में निरंतर डूब रहे है बड़े-बड़े बैंक?
लेहमन ब्रदर्स बैंक का संकट वर्ष 2008 में इतना विशाल था कि उससे पूरी दुनिया कांप गई एवं उसे आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा। वास्तव में अपनी चादर से कहीं अधिक पैर लेहमन ब्रदर्स ने फैला लिए थे। बैंक का वित्तीय लेवरेज अनुपात 44 के मुकाबले 1 था। मतलब बैंक ने अपने प्रत्येक 1 रुपये पर 44 रुपया उधार ले रखा था।
यह फार्मूला अधिक दिन सफल नहीं रह सकता है। क्योंकि जब बाजार बूम पर रहेगा तब तक तो सब सही परन्तु जैसे ही बुलबुला फूटेगा तो ध्वस्त होने के अतिरिक्त कुछ नहीं बचने वाला। लेहमन ब्रदर्स के साथ ऐसा ही हुआ, अमेरिका रियल एस्टेट बाजार का बुलबुला टूटते ही सब कुछ बिखर गया।
सिलिकॉन बैंक ने ट्रेजरी बॉन्ड्स में अपने खाताधारकों के पैसे निवेश कर रखे थे। ब्याज दर जब तक कम थी तब तक अच्छी कमाई हो रही थी। परन्तु रूस-यूक्रेन युद्ध के पश्चात जैसे ही महंगाई अनियंत्रित हुई तो फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ाना प्रारंभ कर दिया। इसके अतिरिक्त स्टार्ट अप के लिए कोविड की वजह से परेशानियाँ खड़ी हुईं।
स्टार्टअप अपने जमा पैसे बैंक से निकलने लगे। जिस से बैंक में रखी पूंजी ऐसे में ख़त्म होने लगीं। बैंक को अपने एसेट बैलेंस मेंटेन करने के लिए कम दाम पर बेचने पड़े। बैंक के मुताबिक, अपने एसेट कम कीमत पर बेचने से बैंकों को लगभग 1.8 अरब डॉलर का घाटा हुआ। एवं स्थिति इस प्रकार की हो गयी कि, बैंक के पास पूंजी नहीं बची और उसे दिवालिया होना पड़ा।
भारतीयों बैंकों पर क्यों गहराया था संकट?
विगत 2-3 वर्ष में भारत के बैंकों को देखा जाये तो DHFL, यस बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक, PMC बैंक, IDBI पर भी संकट गहरा गया था। आरबीआई एवं सरकार को इन बैंकों के संबंध में कड़ी कार्यवाही करनी पड़ी थी। तब कहीं जाकर स्थित नियंत्रित हुई थी ।
भारत का यस बैंक सबसे तेजी से बढ़ने वाले बैंकों में से एक था। बैंक को नई ऊंचाइयों पर उसके फाउंडर राणा कपूर एवं अशोक कपूर ले जा रहे थे। परन्तु अशोक कपूर की मृत्यु के पश्चात उनकी पत्नी मधु कपूर एवं राणा कपूर के बीच बैंक के मालिकाना हक के संबंध में झगड़ा प्रारंभ हो गया। इसके पश्चात बैंक के एमडी के पद से वर्ष 2018 में राणा कपूर भी हटा दिया गया ।
उनके हटने के पश्चात पहली बार बैंक ने 1500 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया। ऐसा बताया गया कि, बैंक ने पूर्व में आंकड़े छुपा रखे थे। बैंक से अलग होने के पश्चात राणा कपूर एवं उनके परिवार के लोगों ने बैंक से अपनी भागेदारी भी कम करनी प्रारंभ कर दी।
इससे बैंक को पूंजी एकत्रित करना मुश्किल हो गया। ख़राब स्थिति को देखते हुए विदेशी फंड हाउसेज एवं क्रेडिट एजेंसियों ने यस बैंक का आउटलुक घटा दिया एवं उसे निगेटिव सूची में डाल दिया।
कैसे जाने की कहीं हमारा बैंक भी डूबने वाला तो नहीं
वैसे ये पता लगाना की कौन सा बैंक कब डूबेगा काफी मुश्किल है, फिर भी अगर हम अपने आप को अपडेट रखे तो आसानी से पता लगाया जा सकता है की कहीं हमारा बैंक भी डूबने वाला तो नहीं।
- प्रत्येक बैंक तिमाही और वार्षिक रिपोर्ट जारी करता है, हमें उस रिपोर्ट में देखना चाहिए की कहीं बहुत तेजी से बैंक को घाटा तो नहीं हो रहा है।
- बैंक के प्रमोटर और बड़े इन्वेस्टर अपने हिस्सेदारी कम तो नहीं कर रहे है।
- बैंक के शेयर प्राइस तेजी से नीचे तो नहीं गिर रहा है।
- बैंक का सरकार या किसी बड़े बिज़नेस घराने से कोई बड़ा कानूनी विवाद तो नहीं चल रहा है।
- आरबीआई ने बैंक को कोई नोटिस तो नहीं दिया जिस से बैंक का पूरा कारोबार बंद हो सकता हो।
- समय समय पर क्रेडिट एजेंसियों द्वारा दिए जाने वाला रेटिंग कम तो नहीं हो रहा है।
बैंक अपना कारोबार अचानक रातों रात नहीं बंद करता है, जब बैंक की वित्तीय स्थिति धीरे-धीरे गिरने लगती और काफी प्रयास करने पर भी बैंक की माली हालत में सुधार नहीं होता तो बैंक अपने आप को दिवालिया घोषित कर देता है। भारत में आरबीआई बैंकों पर बहुत पैनी नजर रखता है इसलिए हमें घबराने जी जरुरत नहीं है की बैंक में हमारा पैसा डूब जाएगा।